

ट्रंप प्रशासन ने कश्मीर को लेकर किया मध्यस्थता से इंकार, कहा द्विपक्षीय मसला

अमेरिकी प्रशासन ने कश्मीर मुद्दे को लेकर अपना रूख पूरी तरह साफ कर दिया है. अमेरिका ने कहा है कि कश्मीर भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला है और अमेरिका इसमें कतई दखल नहीं देगा. अमेरिका ने मध्यस्थता करने से साफ इंकार कर दिया है. भारतीय राजदूत हर्षवर्धन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर भारत और पाकिस्तान चाहते हैं कि वे मध्यस्थता करें तो वे मध्यस्थता कर सकते हैं. लेकिन भारत का रुख साफ है कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है, जिस पर फैसला केवल दोनों देश कर सकते हैं.
दरअसल भारत का कश्मीर पर हमेशा से रुख स्पष्ट रहा है कि यह एक आंतरिक मुद्दा है, जिस पर किसी तीसरे देश की दखल स्वीकार नहीं की जाएगी. जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दुनिया के सामने मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा को किसी देश में तवज्जो नहीं मिल रही है.
भारत को वहीं दुनिया के कई देशों से जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसला का समर्थन मिल चुका है. इस फैसले पर भारत का समर्थन रूस ने भी किया है. रूस ने साफ शब्दों में कहा कि जम्मू और कश्मीर को दो भागों में विभाजित और केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला संविधान के अनुसार ही लिया गया था. रूस ने कहा था, मॉस्को को उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर राज्य पर दिल्ली द्वारा लिए गए फैसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में वृद्धि नहीं होगी.