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SYL Dispute: सुप्रीम कोर्ट में आज नहीं हुई सुनवाई, सीएम मनोहर लाल बोले- SC ही करेगा फैसला

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SYL Dispute: हरियाणा और पंजाब (Haryana&Punjab) के सतलुज यमुना लिंक पर आज सुनवाई नहीं हो सकी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई के लिए तारीख को आगे बढ़ा दिया। एसवाईएल (SYL) पर सीएम मनोहर लाल (CM Manohar Lal) ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा अब तक इस विवाद पर पंजाब के साथ तीन बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।

कई बैठकों के बाद नहीं निकला समाधान

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल (CM Manohar Lal) ने आगे कहा कि अब इस पर फैसला सर्वोच्च अदालत ही करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने (SYL) मामले में 10 नवंबर 2016 को हरियाणा के पक्ष में फैसला दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि (SYL) का बकाया काम पूरा कर हरियाणा को पर्याप्त पानी दिया जाए। 28 जुलाई 2020 को कोर्ट ने केंद्र सरकार को दोनों राज्यों के बीच मध्यस्थता का आदेश दिया था। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekavat) ने की मध्यस्थता में बैठकें हुई लेकिन, कोई समाधान नहीं निकला है।

एसवाईएल को लेकर पंजाब सरकार का कहना है कि हमारे पास किसी को देने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। जिसको लेकर हरियाणा के सीएम लगातार पंजाब की सरकार से बात करते रहे हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद अब फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा। आपको बताते हैं कि दोनों राज्यों को लेकर एसवाईएल विवाद क्या है।

एसवाईएल विवाद...

SYL नहर का पूरा विवाद पंजाब ने हरियाणा से 18 नवंबर,1976 को 1 करोड़ रुपए लिए और 1977 को SYL निर्माण मंजूरी दी।

पंजाब ने SYL नहर के निर्माण को लेकर आनाकानी करनी शुरू कर दी।

साल 1979 में हरियाणा ने SYL के निर्माण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

पंजाब ने 11 जुलाई, 1979 को पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।

1980 में पंजाब सरकार बर्खास्त होने के बाद 1981 में PM इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों राज्यों का समझौता हुआ।

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 को पंजाब को एक वर्ष में SYL नहर बनवाने के निर्देश दिए।

2016 में गठित 5 सदस्यों की संविधान पीठ ने पहली सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को बुलाया।

साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए नोटिस जारी किया।

अब पूरे मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है। दोनों राज्यों के बीच सुप्रीम कोर्ट ही फैसला देगा।

 

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