
नहीं रहे पूर्व कानून मंत्री व वरिष्ठ वकील शांति भूषण...इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण के मुकद्दमें से मिली थी देशव्यापी पहचान

नई दिल्ली: वरिष्ठ वकील और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण का आज 97 साल की उम्र में देहावसान हो गया। नोएडा में स्थित अपने आवास में उन्होंने अंतिम सांस ली। स्वर्गीय शांति भूषण की पहचान भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाले एक कर्मठ योद्धा की रही है। यहां तक की कानून मंत्री बनने से पहले ही शांति भूषण देश के एक नामी वकील के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे। सबसे पहले वे उस वक्त चर्चा में आये जब उन्होंने इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण का मुकद्दमा लड़ा और इस मुकद्दमे में इंदिरा गांधी की हार हुई और उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा था। अपने पूरे जीवन काल में शांति भूषण भ्रष्टाचार के खिलाफ सतत संघर्ष करते दिखे और न सिर्फ अदालत में बल्कि सड़क पर उतर कर आंदोलन करने से भी नहीं हिचके। जनता की आवाज को बुलंद करने के लिए उन्होंने गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की भी स्थापना की। इतना ही नहीं चाहे अन्ना हजारे का इंडिया अगेंस्ट करप्शन की मुहिम हो या फिर आम आदमी पार्टी की स्थापना हमेशा वे अग्रिम कतार में खड़े नजर आये और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का मार्ग प्रशस्त किया। प्रशांत भूषण उनके बेटे और देश के नामी वकीलों में से एक है।
कैसे मिली पहचान
शांति भूषण देश के एक नामी वकील के रूप में जाने जाते है। शांति भूषण को यह पहचान तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ मुकदमा लड़ कर मिली । 1971 में 5वी बार लोकसभा के चुनाव हुए थे। जिसमें इंदिरा गांधी 545 सीटों में से 352 सीटें हासिल कर चुनाव जीत गई थी। इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ी थी। और उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण को मात दी थी। राजनारायण ने इंदिरा गांधी की जीत को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। उस समय राजानारायण की पैरवी शांति भूषण ने ही की थी।
शांति भूषण की दलीलों के सामने तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को टेकने पड़े थे घुटने
राजानारायण ने अपनी याचिका में इंदिरा गांधी पर मशीनरी का गलत इस्तेमाल कर चुनाव जीतने का आरोप लगाया था। उन्होंने कोर्ट से चुनाव को रद्द करने की मांग की। राजानारायण ने इंदिरा गांधी पर कुल 7 आरोप लगाए थे। जिसके चलते इंदिरा गांधी को कोर्ट में पेश होने पड़ा था। उस समय शांति भूषण ने इंदिरा गांधी से कई सवाल पूछे और कोर्ट के सामने ऐसी दलीलें रखी, जिसमें इंदिरा गांधी को दोषी पाया गया । जिसके बाद कोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया था।
शांति भूषण का राजनीतिक सफर
आपताकाल खत्म होने के जनता पार्टी की सरकार आई। शांति भूषण जनता पार्टी में शामिल हो गए। जिसके बाद उन्हें देश का कानून मंत्री बनाया गया। वह इस पद पर 1977-79 तक काबिज रहे। कुछ मतभेदों के चलते उन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी। साल 1980 में वह भाजपा में शामिल हो गए। लगभग 6 साल तक भाजपा में रहने के बाद उन्होंने भाजपा से भी त्याग पत्र दे दिया। अपने राजनीतिक करियर में वह राज्यसभा के सांसद भी रह चुके है।