
Chaitra Navratri 2023: छठे दिन करें मां कात्यायनी की उपासना, ये रही पूजा विधि और मंत्र

Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा का विधान है। माता कात्यायनी को युद्ध की देवी भी कहा जाता है। साथ ही इन्हें महिषासुरमर्दिनि के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि माता की श्रद्धापूर्व की गई उपासना से साधक की सभी मनोकामना पूरी होती है।
हिन्दू शास्त्रों में जिक्र है कि माता कात्यायनी की पूजा करने से शिक्षा के क्षेत्र में बहुत लाभ मिलता है। सोमवार को माता कात्यायनी की उपासना की जाएगी। चलिए जानते हैं माता कात्यायनी की पूजा विधि और मंत्र।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का समापन 27 मार्च को दोपहर 03:57 पर होगा। इस दिन 3 अत्यंत शुभ योग बन रहे हैं। पंचांग के अनुसार चैत्र षष्ठी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा और रवि योग सुबह 06:16 से दोपहर 01:57 तक रहेगा और इसके बाद अमृत सिद्धि योग प्रारंभ हो जाएगा। ऐसे में इन शुभ योग में माता कात्यायनी की उपासना करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा।
माता कात्यायनी की पूजा विधि
चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद सर्वप्रथम भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और फिर कलश पूजन करें। कलश पूजा के बाद माता कात्यायनी की उपासना विधिवत रूप से करें। माता को लाल फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करें। घी अथवा कपूर जलाकर माता कात्यायनी की आरती अवश्य करें।
माता कात्यायनी मंत्र….
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।।
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते।।
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।
कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता।।
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा।।
कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी।।