
World Water Day 2023: दुनिया के सामने पानी की समस्या, जल संरक्षण ही उपाय

नई दिल्ली: पानी की बर्बादी को रोकने और इसके महत्व को बताने के लिए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। इस साल इसकी थीम Accelerating Change यानी 'परिवर्तन में तेजी' रखी गई है। पृत्थी का करीब तीन चौथाई भाग पानी से भरा हुआ है, लेकिन इसका 3 प्रतिशत हिस्सा बर्फ और ग्लेशियर के रूप में मौजूद है। विश्व के कई देश जल के आभाव के संकट से जूझ रहे है। दुनिया समेत भारत के लोग को स्वच्छ पानी उपलब्ध न होने की समस्या से स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। भारत के कई प्रदेश भारी जल संकट से जूझ रहे है, जहां तालाब, कुएं, नहर, नदी बुरी तरह से दूषित है।
हरियाणा में जल संकट
भारत का हरियाणा प्रदेश अपनी संस्कृति और खान-पान के लिए जाना जाता है। यहां के गांवों के दूध-दही, घी और मक्खन के प्रोड्क्शन और खपत के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन एक चीज यहां बहुत अधिक कमी है वो है पानी। पिछले कुछ समय से हरियाणा के लोगों में पानी को लेकर चिंता बढ़ी है। इसके 1780 गांवों रेड जोन में शामिल कर चुकी हैं।
क्या कहते हैं आकड़ें ?
हरियाणा में पानी के संकट को लेकर पिछले 10 साल के आकंड़े काफी कुछ बयां करते हैं। साल 2010 से 2020 की रिपोर्ट पर नजर डाले तो अब तक 957 गावों को रेड जोन घोषित किया गया है। ये सारे गांव भारी जल सकंट से जूझ रहे हैं। यहां पर भू-जल स्तर की गिरावट दर 0.00-1.00 मीटर प्रति वर्ष के बीच है। वहीं प्रदेश के 79 गांवों में हर साल 2.0 की गिरावट दर दर्ज की है। पिछले 2 साल के भीतर 1041 गांव ऐसे हैं जो भू-जल स्तर की गिरावट की श्रेणी में आ चुके हैं। पिछले 10 सालों के आकंड़ो के मुताबिक 874 गांवों में भू-जल स्तर की गिरावट दर 0.00-1.00 मीटर प्रति वर्ष दर्ज की गई है।
गांवों को 7 जोन में बांटने का प्रस्ताव
हरियाणा में पानी की किल्लत झेल रहे गांवों को 7 जोन में बांटने का प्रस्ताव रखा गया है। ये भू-जल स्तर में गिरावट के आधार पर तय होगा कि किस गांव को किस जोन में रखा जाएगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस प्रस्ताव के समर्थन में हैं। प्रदेश में लगातार गिरते जल स्तर को देखते गांवों को गुलाबी, बैंगनी और नीली श्रेणियां में बांटा जा रहा है।
पानी की जंग लड़ रहे राजेंद्र सिंह
दुनिया में भारी जल संकट को देखते हुए भविष्य में पानी के कारण होने वाले युद्ध की भी आशंका जताई है। वहीं भारत के राजेंद्र सिंह पानी के लिए जंग लड़ रहे हैं। वो पिछले 46 साल से जल संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। उन्हें जल पुरुष भी कहा जाता है। राजेंद्र कहते हैं कि ‘नदिंयों पर संकट है इसलिए इस संकट से लड़ने के लिए हम सबको साथ आना पड़ेगा इक्ठ्ठे होना पड़ेगा’।