
UPSC एग्जाम में सूरज ने लहराया परचम, ट्रेन हादसे में गंवाए दोनों पैर लेकिन नहीं खोया हौसला

लखनऊ: उत्तर-प्रदेश के मैनपुरी जिले के निवासी सूरज तिवारी ने देश और जिले का नाम रौशन कर दिया। उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा में सफलता हासिल की है। सूरज की इस शानदार कामयाबी पर उनके घर में खुशी का माहौल है। मां-बाप और रिश्तेदार समेत सभी लोग उनपर बेहद नाज महसूस कर रहे हैं। सूरज के घर पर बंधाईयां देने के लिए लोगा की भीड़ इक्ठ्ठा हो रही है।
सूरज ने लहराया यूपीएससी में परचम
कहते हैं अपने मजबूत इरादे और हौसलों के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है। अगर किसी भी चीज की शिद्दत से चाह लो तो पूरी कायनात उसे आपको मिलाने में लग जाती है। ऐसा ही कर दिखाया है सूरज तिवारी ने। ट्रेन हादसे में दोनों पैर गंवाने वाले सूरज ने यूपीएससी परीक्षा में 917वीं रैंक हासिल की है। वो आज देश के उन लाखों युवाओं की प्रेरणा बन चुक हैं जो परिस्थितियों के सामने घुटने टेकने पर मजबूर हो जाते हैं।
ट्रेन हादसे में खोए दोनों पैर
सूरज आज से 6 साल पहले 24 जनवरी 2017 को गाजियाबाद के दादरी में एक ट्रेन हादसे का शिकार हो गए थे। इस दर्दनाक दुर्घटना में उन्होंने अपने दोनों पैर और हाथों की अंगुलियों को खो दिया था। वो लगभग चार महीनों तक अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती रहेँ। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और कुछ गुजरने का संकल्प लिया। सूरज ने साल 2018 में दिल्ली की जेएनयू यूनिवर्सिटी में बीए में दाखिला लिया। ग्रेजुएशन कम्पलीट करने के बाद उन्होंने इसी कॉलेज में एमए में एडमिशन लिया और यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
पहली बार में UPSC में मिली सफलता
सूरज ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी और उन्होंने फर्स्ट अटेम्प्ट में ही इस कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली। इस मौके पर सूरज के पिता राजेश तिवारी ने कहा कि, "घटना के बाद भी उसका मन कभी छोटा नहीं हुआ। वह हमेशा कहता था कि आप लोग घबराए मत। सूरज जैसा बेटा हर घर में पैदा हो।" वहीं, सूरज की मां ने बताया कि " सूरज के हौसले बुलंद थे, घटना के बाद भी उसने कभी हिम्मत नहीं हारी बल्कि उसने हमें ही हौसला दिलाया कि आप चिंता मत करिए मैं बहुत पैसा कमाऊंगा।"