
गुजरात चुनाव में दलबदलुओं की आई बहार... चुनावी बाजी किसके हाथ होगी यार

अहमदाबाद: गुजरात में चुनावी घमासान शुरू है। प्रचार पूरे उफान पर है। हो भी क्यों न इस बार का गुजरात चुनाव पहले से अलग है क्योंकि मुकाबले में परंपरागत भाजपा और कांग्रेस सरीखे राजनीतिक दलों के अलावा एक और दल आम आदमी पार्टी भी पूरे दमखम से चुनाव लड़ रही है। यही कारण है कि जीत को लेकर अपने—अपने दावों के बीच इन राजनीतिक दलों के बड़े नेता इन दिनों गुजरात में डेरा जमाये हुए हैं। चाहे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सब गुजरात के चुनावी रण में देखे जा सकते हैं। यहां तक की भारत यात्रा पर निकले कांग्रेसी नेता राहुल गांधी भी गुजरात में कुछ जनसभाओं को संबोधित कर चुके हैं।
आतंक से नहीं मोदी से लड़ते हैं कांग्रेसी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार गुजरात का दौरा करते देखे जा रहे हैं और कांग्रेस पर हमलावर हैं। गुजरात के खेड़ा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सूरत और अहमदाबाद में हुए विस्फोट में गुजरात के लोगों की जान गई। उस समय केंद्र में कांग्रेस सत्ता में थी। हमने उनसे आतंकवाद को निशाना बनाने को कहा लेकिन उन्होंने इसके बजाय मुझे निशाना बनाया। इतना ही नहीं खेड़ा की रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र भी किया और कहा कि इस घटना को लेकर कांग्रेस नेता आतंकियों के समर्थन में रो पड़े थे।
दलबदलुओं की आई बहार
जैसा कि अमूमन चुनावों में देखा जाता है कि राजनीतिक नेता जीत हार की संभावित गणित या फिर चुनावी दावेदारी के मद्देनजर दल बदल करते हैं, कुछ ऐसा ही माहौल गुजरात में भी विधानसभा चुनाव के ऐन मौके पर देखने को मिल रहा है। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस अपने नेताओं के टिकट काटते दिख रहे हैं ऐसे में जिन नेताओं का टिकट कट गया या फिर कटने की संभावना है वे दूसरे दल में संभावनायें तलाश रहे हैं और चुनावी समर में किसी भी तरह से खुद को आजमाने को बेताब दिख रहे हैं। ऐसा ही एक नाम कांग्रेसी विधायक मोहन सिंह राठवा का है। कांग्रेसी दिग्गज और कांग्रेस पार्टी से 10 के विधायक रहे मोहन सिंह राठवा ने विगत 8 नवंबर को कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुए। वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जयनारायण व्यास ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। लगभग एक सप्ताह पहले जयनारायण व्यास की मुलाकात कांग्रेस नेता अशोक गहलोत हुई थी। भाजपा से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा है।
बड़ी संख्या में कटी निवर्तमान विधायकों की टिकट
गौरतलब है कि भाजपा ने अपने 32 विधायकों को टिकट न देने का फैसला किया है। इनमें कई तो ऐसे हैं जो विगत कई टर्म से विधायक थे। ठीक इसी तरह कांग्रेस रणनीतिकारों ने भी अपने कई विधायकों के टिकट काट दिए हैं। हालाकि इनमें ज्यादातर विधायकों ने या तो आम आदमी पार्टी का दामन थामा है या भाजपा में अपना भविष्य तलाशने की कवायद कर रहे हैं।