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#SengolAtNewParliament: संसद भवन में स्थापित होगा सेंगोल, जानिए क्या है इसका इतिहास

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नई दिल्ली: भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को किया जाएगा। इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वतंत्रता के एक 'महत्वपूर्ण ऐतिहासिक' प्रतीक 'सेंगोल' (राजदंड) की प्रथा को फिर से शुरू करने का ऐलान किया है। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि नया संसद भवन हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है। अमित शाह ने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर सेंगोल स्थापित किया जाएगा।

सेंगोल की अहम भूमिका-अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि सेंगोल ने भारत के इतिहास में अहम भूमिक निभाई है। उन्होंने कहा कि 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी। यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इसका इस्तेमाल 14 अगस्त, 1947 को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने किया था, जब अंग्रेजों से सत्ता का हस्तांतरण हुआ था। अमित शाह ने कहा कि इसके 75 साल बाद भी आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है।

'सेंगोल के लिए संसद भवन पवित्र स्थान

गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेंगोल के बारे में जानकारी मिली तो इसकी गहन जांच करवाई गई। इसके बाद निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया। इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है।

बता दें सेंगोल तमिल भाषा 'सेम्मई' का शब्द है। जिसका मतलब धर्म, सच्चाई और निष्ठा है। सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था। 14 अगस्त 1947 को जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से सेंगोल को स्वीकार किया था। अब इसे नए संसद भवन में स्थापित करने की तैयारी की जा रही है।


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