
जल है तो कल है

कल एक बोतल पानी खरीद रहा था तो वहीं पास एक सज्जन कहने लगा बेटा हमारे पूर्वज ने नदियों से पानी पिया हमने कुँए से तुम लोग बोतल में, नलका में पानी प्राप्त करते हो सोचो आने वाली पीढ़ी को किस तरह जल मिलेगा या मिलेगा भी की नहीं तभी मुझे भी ये ख्याल आया सच हमेशा से जल संरक्षण की बातें सुनता हूँ बहुत जागरूकता फैलाई जाती है पर क्या सच में हम जल संचय करने की सोचते हैं?
जब भारत के कुछ राज्यों में महिलाएं दूर दूर बर्तनों में पानी लेने जाती हैं तो हम यह देख कर रोमांचित होते हैं दुखी भी होते हैं कि इनके जीवन में पानी को ले कर कितना संघर्ष है फिर भी खुद को यह एहसास नहीं होता क्योंकि हमें तो जल सरलता से प्राप्त होता है लेकिन जब जल पूरे देश और संसार में ही उपलब्ध न होगा तब हम क्या करेंगे ? फिर जल के लिए हम बर्तन ढोते फिरेंगे और जल के लिए मारा मारी करेंगे पर जल ही न होगा तो लड़ाई किस बात की? जीवन की समाप्ति ही होगी लेकिन यदि हम इस समस्या से बचने की तैयारी कर लें तो हम अपना यह डरावना भविष्य बदल सकते हैं। कहते हैं न कि भूतकाल को हम बदल नहीं सकते जो हो गया सो हो गया पर वर्तमान में किये कार्य से हम अपना भविष्य बदल सकते हैं।
भविष्य में जल संकट की समस्या से बचने के लिए अभी वर्तमान में कार्य करना होगा। सभी कार्य के लिए सरकार और सरकारी कर्मचारी ही जिम्मेदार नहीं, नागरिकों का भी यह कर्तव्य है कि वह देश हित में अपना कर्तव्य निभाएं और जल बचाएं आने वाला भविष्य बचाएं। यह बताने की आवश्यकता नहीं की जल हम कैसे बचाएं ? क्योंकि हम सब जानते हैं कि अपने-अपने स्तर पर जल कैसे बचाना है आवश्यकता है तो केवल प्रयास करने की।आपका यह प्रयास आने वाला भविष्य बदलेगा जल संचय हमारा कल बदलेगा।
जल नहीं होगा तो आज सा कल नहीं होगा
फूल नहीं होंगे और फल नहीं होगा
नदियां सूख कर नाली बन जाएँगी
सूखे झरने से फिर कल कल नहीं होगा
धरती फटी फटी बंजर बन जाएगी
गीली मिट्टी नहीं होगी दलदल नहीं होगा
धरती जल कर राख बन जाएगी
वृक्षों की हरियाली का जब आँचल नहीं होगा
क्या राजपाट चलेगा मानव तेरा ?
जब धरती नुमा यह महल नहीं होगा
जल नहीं होगा तो आज सा कल नहीं होगा